नाग पंचमी 2025: क्यों इस दिन तवा और रोटी से परहेज़ किया जाता है?

नागपंचमी: भारत में त्यौहार केवल धार्मिक अनुष्ठानों तक सीमित नहीं होते, बल्कि वे समाज की सांस्कृतिक और पारंपरिक पहचान का भी हिस्सा होते हैं। नाग पंचमी उन्हीं विशिष्ट पर्वों में से एक है, जिसे श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को पूरे देश में श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जाता है। यह पर्व सांपों (नागों) की पूजा के लिए समर्पित होता है, जिन्हें हिंदू धर्म में देवताओं के वाहक, शक्ति के प्रतीक और धार्मिक संरक्षक के रूप में देखा जाता है।
सांपों की पूजा का महत्व
नाग पंचमी के दिन लोग नाग देवता की पूजा करते हैं, विशेषकर शिवलिंग पर दूध, फूल, कुशा और हल्दी अर्पित करते हैं। कुछ स्थानों पर जीवित नागों को दूध पिलाने की भी परंपरा है। हिंदू ग्रंथों के अनुसार, भगवान शिव के गले में वासुकी नाग, भगवान विष्णु की शय्या पर शेषनाग, और भगवान गणेश के पेट पर नाग की पेटी को चित्रित किया जाता है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि नागों को देवताओं के अत्यंत निकट स्थान प्राप्त है।
तवा और रोटी से क्यों किया जाता है परहेज़?
- नाग पंचमी के दिन एक विशेष नियम का पालन किया जाता है। इस दिन तवा (गोल तवा जिस पर रोटी बनाई जाती है) और रोटी बनाने से परहेज़ किया जाता है। इसके पीछे धार्मिक मान्यता और लोककथा दोनों जुड़ी हुई हैं।
- मान्यता है कि धरती के नीचे नागों का वास होता है, और तवे का उपयोग ज़मीन से जुड़ी गर्मी और आग को सक्रिय करता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन तवे पर रोटी बनाने से अग्नि का तेज नागलोक तक पहुंचता है और उन्हें पीड़ा होती है। इससे नागदेवता क्रोधित हो सकते हैं और घर में विपत्ति आ सकती है।
- इसके अलावा, लोककथाओं में उल्लेख है कि एक बार एक स्त्री ने नाग पंचमी के दिन तवे पर रोटी बनाई, जिससे उसकी रोटी पर नाग का बच्चा जल गया। नागिन ने क्रोध में आकर पूरे परिवार को डस लिया। तभी से यह परंपरा बन गई कि इस दिन तवा और रोटी दोनों से दूरी बनाई जाती है।
इस दिन क्या भोजन बनाया जाता है?
इस दिन उबले चावल, खीर, पूड़ी, पेठा, सावों की खिचड़ी, सूखे मेवे या मिट्टी के चूल्हे पर बना भोजन तैयार किया जाता है। कुछ जगहों पर इस दिन पकवानों में सिर्फ स्टीम या उबालने की प्रक्रिया का इस्तेमाल होता है। यह भी एक प्रकार का प्रकृति के प्रति सम्मान और संतुलन बनाए रखने का संकेत है।
आध्यात्मिक दृष्टिकोण
नाग पंचमी एक ऐसा पर्व है जो प्रकृति के जीवों के प्रति करुणा, संवेदनशीलता और सम्मान की भावना को दर्शाता है। इस दिन तवे का उपयोग न करना और रोटी से परहेज़ करना केवल एक रूढ़ि नहीं, बल्कि सांपों की सुरक्षा और पारंपरिक चेतना से जुड़ा गहरा सांस्कृतिक भाव है। आधुनिक जीवनशैली में इस भावना को समझकर पर्व मनाना ही इसकी असली सार्थकता है।नाग पंचमी 2025 केवल नागों की पूजा का पर्व नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति की उस सोच को दर्शाता है जिसमें हर जीव, हर तत्व, और हर परंपरा का गहरा महत्व है। तवा और रोटी से परहेज़ जैसी परंपराएं दिखाती हैं कि कैसे हमारी पुरानी पीढ़ियों ने प्रकृति से जुड़कर जीवन जीने का संतुलन साधा था। आज आवश्यकता है कि हम उन परंपराओं की भावना को समझें, अंधविश्वास नहीं बल्कि आस्था के साथ श्रद्धा भाव में विश्वास करें।